April 15, 2019

बेनाम सा रिश्ता..

बेनाम सा रिश्ता..
और उसका कहना जैसा चल रहा है वैसा चलने दो...
मेरे दिल ने कहा बस रोक दो... दिमाग ने कहा चलो चलने दो... अक्सर इस दिल दिमाग में फंस जाती हूं मैं...
आखिर क्यों तुम्हारे साथ चलना चाहती हूं मैं...
मुझे भरोसा सा नहीं रहा अब मर्द जात पे..
लेकिन फिर भी भरोसा कर लिया..
इक तेरी बात पे...
जैसा चल रहा है वैसा चलने दो...
किससे करूं मैं यह बात...
आखिर क्यों चलूं मैं तेरे साथ.. सबको लगता था मुझ में मगरूरी है...
एक तुझे ही क्यों लगा मेरी बहुत सी बातें अधूरी है...
तुम्हारे सामने में अक्सर बहुत मुस्कुराई...
आखिर तुमने ये क्यु कह दिया...
तुम अपनी मुस्कान कहां छोड़ आई...
मैं कहती हूं मुझे कहने दो..
मैं कहती हूं मुझे कहने दो ..
और तुम हो के जैसा चल रहा है वैसा चलने दो..
मैं वो हूं जिसे फूल डाली से तोड़ना पसंद नहीं..
पौधा तोहफे में देना मंजूर है..
क्या बताऊं तुझे मेरा मकसद कुछ और है....
मेरे लिए जैसे चल रहा है वैसे चलना कुछ और है।

शिवानी
BJMC
6th सेम 

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