March 30, 2019
March 29, 2019
March 28, 2019
March 26, 2019
March 19, 2019
March 18, 2019
सकून वाली जन्नत
सूरज की बाहों में चमकते वो बर्फिले पहाड़,
देखकर आ गई थी मन में सकून वाली बहार,
सुकून जो शब्दों में न हो सके बयान,
वो पेड़ो से बर्फ का गिरना,
मानो बालों से हाथों को सहलाना,
पहाड़ों के बीच में जाता वो रास्ता,
रास्ता... काश कभी न हो सके उसका खातमा,
वो ठंडी सी हवा से हुई ठुर-ठुरी,
गालों को छू कर बतलाती,
जैसे कायनात मिल गई हो पूरी,
वो नीले आसमान को इस कदर देखना,
जैसे किसी बच्चे का पूरा हो गया हो सपना।
अब दिल से निकलती है बस यहीं मन्नत
कि हर कोई महसूस कर पाए वो सकून वाली जन्नत
विनी
BJMC -4th sem
March 16, 2019
March 13, 2019
The Truth
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March 12, 2019
March 11, 2019
वो राज़
मैं चार दवारें और उन चार दीवरों में गूंजती मेरी हिचकी। एक एक हिचकी मुझे मेरे बुर कर्मों का, मेरी ग़लतियों का एहसास दिला रही थी जो बस उन चार दीवारों में दबी है। वो राज़ जो मैं ही जानता हूँ , वो ग़लतियां जिनपर अभी तक पर्दा डला हुआ है।
मैं एक अव्वल दर्जे का शराबी जिसे घर पर खाना आया है या नहीं इसकी परवाह नहीं पर मेरी शराब की बोतल- मेरी ज़रूरत। यह ज़रूरत मेरी पत्नी और मेरे बच्चों की ज़रूरत से ज़्यादा प्यारी थी। मैं बस उतना कमाता था, जिससे खुद के लिए शराब की बोतल ला सकूं।
"आटा खत्म हो गया है, जी थैली मंगवानी है"
"पैसे नहीं है मेरे पास,खुद भी हाथ पैर हिला लिया करो, मेरे आगे हाथ फैलाने आता है।"
याद है आज भी उस दिन खाना नहीं बना था पर उस दिन भी मेरी शराब की बोतल आई थी। उनके दर्द तकलीफ सुनने पर कभी ध्यान नहीं दिया पर उनकी छोटी से छोटी गल्ती पर उन्हें गालियाँ देने से नहीं चूकता था मैं। यह सब मेरे स्वभाव में जुड़ गए। मेरा दिन चुपचाप शराब लाने से शुरू होता और दिन डलने से पहले मेरे ढलने से खत्म होता ।
"आयशा तूने पैसे निकाले मेरे पर्स से?"
"नहीं माँ मैंने नहीं निकाले।"
"पता नहीं कहाँ गये वो मैंने दवाई के लिए रखे थे।"
वो दिन जब पहली बार चोरी की मैंने, पैसे निकाले अपनी पत्नी के पर्स से । वो उस पूरी रात दर्द से कराह रही थी और मैं अपनी शराब की बोतल के साथ आराम से सोया था।
राज भाग्य मेरा था या बुरा भाग्य मेरे परिवार का। अपनी ग़लतियों हमेशा ऊँची आवाज़ में छिपाई। अपनी पत्नी के चरित्र पर सवाल भी उठाए यह जानते हुए वह निर्दोष है। अपनी बेटी को कोसा यह जानते हुए वह पढाई में अव्वल है। अपने बेटे को निक्कमा कहा यह जानते हुए घर में खाना उसी की वजह से है।
शायद जानता हूँ मैं, मेरे जाने से कोई दु:ख, कोई विलाप नहीं होगा क्योंकि आँसू सूखा दिए मैंने उनके।
अब मेरी गूंजती हिचकी शांत हो रही है, आज मेरे शरीर से आती दुर्गंध खत्म हो रही है। आज मेरी "मैं" , मेरा "अंह"खत्म हो रहा है।
पलक (BJMC-6sem)
मैं एक अव्वल दर्जे का शराबी जिसे घर पर खाना आया है या नहीं इसकी परवाह नहीं पर मेरी शराब की बोतल- मेरी ज़रूरत। यह ज़रूरत मेरी पत्नी और मेरे बच्चों की ज़रूरत से ज़्यादा प्यारी थी। मैं बस उतना कमाता था, जिससे खुद के लिए शराब की बोतल ला सकूं।
"आटा खत्म हो गया है, जी थैली मंगवानी है"
"पैसे नहीं है मेरे पास,खुद भी हाथ पैर हिला लिया करो, मेरे आगे हाथ फैलाने आता है।"
याद है आज भी उस दिन खाना नहीं बना था पर उस दिन भी मेरी शराब की बोतल आई थी। उनके दर्द तकलीफ सुनने पर कभी ध्यान नहीं दिया पर उनकी छोटी से छोटी गल्ती पर उन्हें गालियाँ देने से नहीं चूकता था मैं। यह सब मेरे स्वभाव में जुड़ गए। मेरा दिन चुपचाप शराब लाने से शुरू होता और दिन डलने से पहले मेरे ढलने से खत्म होता ।
"आयशा तूने पैसे निकाले मेरे पर्स से?"
"नहीं माँ मैंने नहीं निकाले।"
"पता नहीं कहाँ गये वो मैंने दवाई के लिए रखे थे।"
वो दिन जब पहली बार चोरी की मैंने, पैसे निकाले अपनी पत्नी के पर्स से । वो उस पूरी रात दर्द से कराह रही थी और मैं अपनी शराब की बोतल के साथ आराम से सोया था।
राज भाग्य मेरा था या बुरा भाग्य मेरे परिवार का। अपनी ग़लतियों हमेशा ऊँची आवाज़ में छिपाई। अपनी पत्नी के चरित्र पर सवाल भी उठाए यह जानते हुए वह निर्दोष है। अपनी बेटी को कोसा यह जानते हुए वह पढाई में अव्वल है। अपने बेटे को निक्कमा कहा यह जानते हुए घर में खाना उसी की वजह से है।
शायद जानता हूँ मैं, मेरे जाने से कोई दु:ख, कोई विलाप नहीं होगा क्योंकि आँसू सूखा दिए मैंने उनके।
अब मेरी गूंजती हिचकी शांत हो रही है, आज मेरे शरीर से आती दुर्गंध खत्म हो रही है। आज मेरी "मैं" , मेरा "अंह"खत्म हो रहा है।
पलक (BJMC-6sem)
March 9, 2019
March 8, 2019
March 7, 2019
Drama, Controversy and Suspense, मीडिया के बदलते मायने! Media is in the Danger
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March 5, 2019
Radio has a very bright future so is creative writing. Good luck Palak
March 2, 2019
March 1, 2019
Youth is full of Talent. Only need to know & show your Talent || Jivesh Rampal, BAJMC VI
Youth is full of Talent. Only need to know & show your Talent || Jivesh Rampal, BAJMC VI.
P.G. Dept. of Journalism & Mass Communication, Doaba College, Jalandhar.
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